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Nayi Bhookh | Hemant Deolekar
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Nayi Bhookh | Hemant Deolekar

00:02:13
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नई भूख | हेमंत देवलेकर भूख से तड़पते हुए भी आदमी रोटी नहीं  मांगतावह चिल्लाता है 'गति...गति!!तेज़...और तेज़...इससे तेज़ क्यों नहीं'कभी न स्थगित होने वाली वासना है गतिहमारे पास डाकिये की कोई स्मृति नहीं बची।दुनिया के किसी भी कोने मेंपलक झपकते पहुँच रहा है सब कुछसारी आधुनिकता इस वक़्त लगी हैसमय बचाने में - जो स्वयं ब्लैक होल है।हो सकता है किसी रोज़हम बना लें समय भीमगर क्या तब भीहोगा हमारे पास इतना समय भी किकिसी उल्टे पड़े छटपटाते कीड़े को सीधा कर सकें ।

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